किसी के ख़त का बहुत इंतिज़ार करते हैं हमारी छत पे कबूतर नहीं उतरते हैं ख़ुशी के प्यार के गुल के बहार के लम्हे हमें मिले भी तो पल भर नहीं ठहरते हैं किसी तरफ़ से भी आओगे हम को पाओगे हमारे घर से सभी रास्ते गुज़रते हैं ये जानता है समुंदर में कूदने वाला जो डूबते हैं वही लोग फिर उभरते हैं कहीं फ़साद कहीं हादसे कहीं दहशत घरों से लोग निकलते हुए भी डरते हैं