ग़दर के हंगामे के बाद जब पकड़-धकड़ शुरू हुई तो मीरज़ा ग़ालिब को भी बुलाया गया। ये कर्नल ब्राउन के रूबरू पेश हुए तो वही कुलाह पयाख़ जो ये पहना करते थे, हस्ब-ए-मा’मूल उनके सर पर थी। जिसकी वजह से कुछ अ’जीब-ओ-ग़रीब वज़ा क़ता (हुलिया) मालूम होती थी। उन्हें देखकर कर्नल ब्राउन ने कहा, “वेल मिर्ज़ा साहिब तुम मुसलमान है?” “आधा मुसलमान हूँ।” कर्नल ब्राउन ने ता’ज्जुब से कहा, “आधा मुसलमान क्या? इसका मतलब?” “शराब पीता हूँ, सुअर नहीं खाता।” मीरज़ा साहिब फ़ौरन बोले। ये सुनकर कर्नल ब्राउन बहुत महज़ूज़ हुआ और मीरज़ा साहिब को ए’ज़ाज़ (सम्मान) के साथ रुख़्सत कर दिया।