अ’दम ये है तो वजूद क्या है ? Admin शायरी अब्दुल कलाम, Latiife << चार महीने की दीवार आतिश गुल नहीं तो शोला-ए-त... >> अ’दम ये है तो वजूद क्या है ? अब्दुल हमीद अ’दम को किसी साहिब ने एक-बार जोश से मिलाया। “आप अ’दम हैं...!” अ’दम काफ़ी तन-ओ-तोश के आदमी थे, जोश ने उनके डील-डौल को बग़ौर देखा और कहने लगे, “अ’दम ये है तो वजूद क्या होगा?” Share on: