एक बार हैदराबाद में मजाज़ और फ़िराक़ दोनों एक साथ ठहरे हुए थे। फ़िराक़ ने मजाज़ से मशवरे के अंदाज़ में कहा, “बम्बई चले जाओ, तुम्हारे गीत फ़िल्म वाले बड़ी क़ीमत देकर ख़रीदेंगे।” मजाज़ कहने लगे, “बम्बई में रुपये किस काम आएंगे?” फ़िराक़ ने हैरत-ज़दा हो कर पूछा, “क्या मतलब?” मजाज़ ने कहा, “बम्बई ड्राई है।”