नामवर अदीब और शायर मरहूम सय्यद अकबर हुसैन अकबर इलाहाबादी अपनी रोशन ख़्याली के बावजूद मशरिक़ी तहज़ीब के चाहनेवाले थे और वज़ा के पाबंद। दाढ़ी मुंडवाने का रिवाज हिन्दोस्तान में आ’म था। लेकिन लार्ड कर्ज़न जब हिन्दोस्तान आए तो उनकी देखा देखी मूंछ भी सफ़ाया होने लगी। पहले-पहल ख़ान बहादुर सय्यद ऑल नबी वकील आगरा और मिस्टर मज़हर उल-हक़ बैरिस्टर ने लार्ड कर्ज़न की पैरवी की। फिर तो अंग्रेज़ीदानों में आ’म रिवाज हो गया। चुनांचे आपने उसकी हजव (निंदा) में हस्ब-ए-ज़ैल क़ता इरशाद फ़रमाया कर दिया कर्ज़न ने ज़न मर्दों को सूरत देखिए आबरू चेहरे की सब फ़ैशन बनाकर पोंछ ली सच्च ये है इन्सान को यूरोप ने हल्का कर दिया इब्तिदा डाढ़ी से की और इंतिहा में मूंछ ली