दाग़ क्या कम है निशानी का यही याद रहे Admin नवाब की शायरी, Latiife << घोड़ा, घास और मुफ़्त का मुश... ‘शीराज़ा’ बिखरना >> एक-बार दाग़ देहलवी अजमेर गये। जब वहां से रुख़्सत होने लगे तो उनके शागिर्द नवाब अ’ब्दुल्लाह ख़ां मतलब ने कहा: “उस्ताद आप जा रहे हैं। जाते हुए अपनी कोई निशानी तो देते जाईए।” ये सुनकर दाग़ ने बिला ताम्मुल कहा, “दाग़ क्या कम है निशानी का यही याद रहे।” Share on: