मौलाना अब्दुल मजीद सालिक हश्शाश-ओ-बश्शाश रहने के आ’दी थे और जब तक दफ़्तर में रहते, दफ़्तर क़हक़हाज़ार रहता। उनकी तहरीरों में भी उनकी तबीयत की तरह शगुफ़्तगी होती थी। जब लार्ड वेवल हिन्दोस्तान के वायसराए मुक़र्रर हुए तो सालिक ने अनोखे ढंग से बताया कि वो एक आँख से महरूम हैं। चुनांचे मौलाना सालिक ने इन्क़िलाब के मज़ाहिया कॉलम ‘अफ़्क़ार-ओ-हवादिस’ में लिखा: लार्ड वेवल के वायसराए मुक़र्रर होने का ये वा’दा है कि वो सबको एक आँख से देखेंगे।”