कृष्ण मोहन जिन दिनों कमिशनर आफ़ इन्कम टॅक्स थे तो उनके ए’ज़ाज़ में एक दावत हुई, उसमें गोपाल मित्तल भी आमंत्रित थे। कृष्ण मोहन ने ग़ज़लें सुनाना शुरू कीं, तो मुसलसल सुनाते ही रहे। अचानक उन्होंने पानी मांगा तो गोपाल मित्तल ने मेज़बान को मुख़ातिब करते हुए कहा: “उसे पानी न देना वर्ना ये ताज़ा-दम हो कर और ग़ज़लें सुनाएगा।”