पतरस बुख़ारी और हफ़ीज़ जालंधरी इकट्ठे सफ़र कर रहे थे कि एक स्टेशन पर पतरस के एक दोस्त इसी डिब्बे में दाख़िल हुए। पतरस ने ये कह कर हफ़ीज़ साहिब का तआ’रुफ़ उनसे कराया: “आप हैं हिन्दोस्तान के नामवर शायर, फ़िर्दोसी इस्लाम, मुसन्निफ़ शाहनामा-ए-इस्लाम, नग़मा ज़ार और सोज़ो साज़ हज़रत अबुल असर हफ़ीज़ जालंधरी।” उस दोस्त ने इंतिहाई आ’लम-ए-इश्तियाक़ में हाथ बढ़ा के उनसे मुसाफ़ा करते हुए कहा, “अच्छा आप जालंधर के रहने वाले हैं, अस्सलामु अलैकुम।”