एक दफ़ा मीरज़ा साहिब की हमशीरा साहिबा बीमार हुईं। मीरज़ा साहिब उनकी इ’यादत को गये और उनसे पूछा, “क्या हाल है?” उन्होंने कहा, “मरती हूँ। क़र्ज़ की फ़िक्र है , गर्दन पर लिये जाती हूँ।” मिर्ज़ा साहिब फ़रमाने लगे, “इसमें भला फ़िक्र की क्या बात है! ख़ुदा के हाँ कौन से मुफ़्ती सदर उद्दीन ख़ां बैठे हैं जो डिग्री करके पकड़वा बुलाएँगे?”