जाफ़री का असली रंग Admin चंद्रशेखर आजाद शायरी, Latiife << किसी बुलबुल का दिल जला हो... ड्रामे पर ड्रामा >> किसी मुशायरे में सरदार जाफ़री अपना कलाम सुनाने से पहले कहने लगे, “हज़रात! मैं आशिक़ाना रंग में कुछ अशआ’र अ’र्ज़ करना चाहता हूँ, अगरचे मेरा असली रंग नहीं है।” जगन्नाथ आज़ाद ने सरदार की बात काटते हुए पूछा, “तो क्या आपका असली रंग मा’शूक़ाना है?” Share on: