मारवाड़ी सेठ और मजाज़ का तख़ल्लुस By Latiife << मय का ग़र्क़-ए-दफ़्तर होन... मजलिस-ए-वा’ज़ में मजाज़ >> मजाज़ बम्बई में थे। किसी मारवाड़ी सेठ ने जो मजाज़ से ग़ाइबाना अक़ीदत रखता था, मजाज़ से मुलाक़ात की और चलते वक़्त बड़े तकल्लुफ़ के साथ पूछा, “मजाज़ साहब माफ़ कीजिएगा, क्या मैं आपका तख़ल्लुस पूछ सकता हूँ?” मजाज़ ने गर्दन झुका कर चुपके से कहा, “इसरार-उल-हक़।” Share on: