एक-बार मुंबई के मुशायरे में जोश मलीहाबादी अपनी तहलका मचा देने वाली नज़्म ‘गुल-बदनी’ सुना रहे थे, बेपनाह दाद मिल रही थी। जब उन्होंने इस नज़्म का एक बहुत ही अच्छा बंद सुनाया तो कँवर महिंदर सिंह बेदी सिहर ने वालिहाना दाद दी और कहा कि हज़रात मुलाहिज़ा हो, एक पठान इतनी अच्छी नज़्म सुना रहा है। इस पर जोश साहिब बोले कि “हज़रात ये भी मुलाहिज़ा हो कि एक सिख इतनी अच्छी दाद दे रहा है।”