मऊनाथभंजन में मुशायरा हो रहा था। बशीर बद्र निज़ामत कर रहे थे। राहत इंदौरी जिनका रंग गहरा साँवला सलोना है, उनकी सरमस्ती का दौर था, माइक पर आते ही बोले, “हज़रात! मैं कल से बहुत ख़ुश हूँ। दरअसल अपने रंग की वजह से शर्मिंदा-शर्मिंदा रहता था। लेकिन बाबू जगजीवन राम नायब वज़ीर-ए-आ’ज़म की सदारत में मुशायरा पढ़ने का मौक़ा मिला। उनके रंग को अगर आप ज़ेह्न में रखें तो मैं ख़ासा क़बूलसूरत आदमी हूँ। बाबू जी को देखने के बाद में बहुत ख़ुश हूँ।” बशीर बद्र ने कहा कि बाबू जी भी बहुत ख़ुश हैं कि उनकी क़ौम में इतना अच्छा शायर पैदा हो गया।