एक-बार राजा महमूदाबाद ने मजाज़ को नसीहत करते हुए बड़े प्यार से समझाया, “देखो मियां! अगर तुम शराब पीना छोड़ दो तो मैं तुम्हारे गुज़ारे के लिए चार-सौ रुपये माहवार वज़ीफ़ा मुक़र्रर कर दूंगा।” मजाज़ ने बड़े अदब से जवाब दिया, “मगर राजा साहिब! ये तो सोचिए कि अगर मैं शराब ही पीना छोड़ दूं तो फिर चार-सौ रूपों का क्या करूँगा?”