जिगर मुरादाबादी ने निहायत हमदर्दाना अंदाज़ में शराब की ख़राबियाँ बयान करते हुए मजाज़ से कहा, “मजाज़ शराब वाक़ई ख़ाना-ख़राब है। ख़ुम के ख़ुम लुंढाने के बाद अंजाम-कार मुझे तौबा ही करनी पड़ी। मैं तो दुआ’ करता हूँ कि ख़ुदा तुम्हें तौफ़ीक़ दे कि तुम भी मेरी तरह तौबा कर सको।” मजाज़ ये सुनकर निहायत मासूमियत से कहने लगे, “जिगर साहब, आपने तो एक बार तौबा की लेकिन मैं सैंकड़ों बार तौबा कर चुका हूँ।”