शौहर की गुमरही

यूनुस सलीम साहिब की अहलिया कराची गयीं तो जोश साहिब से मिलने के लिए तशरीफ़ ले गयीं। जोश साहिब ने पहले तो यूनुस साहिब की ख़ैर-ओ-आ’फ़ियत दरियाफ्त की और उसके बाद कहने लगे कि यूनुस आदमी तो अच्छा है लेकिन आजकल उसमें नुक़्स पैदा हो गया है। एक तो नमाज़ बहुत पढ़ने लगा है और दूसरे अच्छी भली सूरत को दाढ़ी रखकर बिगाड़ रहा है। इस पर बेगम यूनुस ने अ’र्ज़ किया कि दाढ़ी रखने का मश्वरा तो यूनुस साहिब को मैंने ही दिया था। इस पर जोश साहिब ने फ़ौरन जवाब दिया कि “आदम को भी तो हव्वा ने ही गुमराह किया था।”

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