तल्ख़-ओ-शीरीं By Latiife << दाद-ख़्वाही शौहर की गुमराही >> मनमोहन तल्ख़ ने जोश मलीहाबादी को फ़ोन किया और कहा, “मैं तल्ख़ बोल रहा हूँ।” जोश साहब ने जवाब दिया, “क्या हर्ज है अगर आप शीरीं बोलें।” Share on: