तल्ख़-ओ-शीरीं Admin मसीह शायरी, Latiife << फुटबॉल क़व्वाली और शे’र का फ़र्क़ >> मनमोहन तल्ख़ ने जोश मलीहाबादी को फ़ोन किया और कहा: “मैं तल्ख़ बोल रहा हूँ।” जोश साहिब ने जवाब दिया, “क्या हर्ज है अगर आप शीरीं बोलें।” Share on: