एक शादी तो ठीक है लेकिन By तंज़ ओ मिज़ाह, Mazahiya << जब पढ़ा जौर ओ जफ़ा मैं ने... इस मर्तबा भी आए हैं नंबर ... >> एक शादी तो ठीक है लेकिन एक दो तीन चार हद कर दी Share on: