होठों की हँसी को ना समझ हक़ीक़त-ए-जिंदगी Admin होठों पर शायरी, Poetry << चाँद बदन को चूम रहा है मज़बूरी में जब कोई जुदा हो... >> होठों की हँसी को ना समझ हक़ीक़त-ए-जिंदगी..!दिल में उतर के देख हम कितने उदास है..!! Share on: