आ तेरे होंट चूम लूँ ऐ मुज़्दा-ए-नजात By Qita << फ़ितरत मिरी मानिंद-ए-नसीम... मय-ख़ाना-ब-दोश हैं घटाएँ ... >> आ तेरे होंट चूम लूँ ऐ मुज़्दा-ए-नजात सदियों के ब'अद ख़त्म पे आई सितम की रात हर शाख़ पर खिले हुए रंग-ए-शफ़क़ के फूल हर नख़्ल की कमर में नसीम-ए-सहर का हात Share on: