अपने इनआम-ए-हुस्न के बदले By Qita << हम लोग हैं वाक़ई अजूबा मैं कहा ख़ल्क़ तुम्हारी ज... >> अपने इनआम-ए-हुस्न के बदले हम तही-दामनों से क्या लेना आज फ़ुर्क़त-ज़दों पे लुत्फ़ करो फिर कभी सब्र आज़मा लेना Share on: