अपनी तख़्लीक़ से होती है मोहब्बत सब को Admin Qita << जिसे हम मोम का घर जानते थ... गो हो गया है तुम को रुख़्... >> अपनी तख़्लीक़ से होती है मोहब्बत सब को सोचता हूँ कि ज़रा भी ग़म-ए-फ़र्दा न करूँ जिस की तख़्लीक़ है वो जाने मुझे क्या लेना ज़िंदगी के लिए अब कोई भी सौदा न करूँ Share on: