बहर-ए-आलाम बे-किनारा है By Qita << रात तो काली थी लेकिन रात ... अल्लाह-तौबा >> बहर-ए-आलाम बे-किनारा है ज़ीस्त की नाव बे-सहारा है रात अँधेरी है और मता-ए-उम्मीद एक टूटा हुआ सितारा है Share on: