देख मुझे तबीब आज पूछा जो हालत-ए-मिज़ाज By Qita << हम ये कहते थे कि अहमक़ हो... दियार-ए-सब्ज़ा ओ गुल से न... >> देख मुझे तबीब आज पूछा जो हालत-ए-मिज़ाज कहने लगा कि ला-इलाज बंदा हूँ मैं ख़ुदा नहीं चेहरा तिरा भी ज़र्द है आह लबों पे सर्द है ये तो मियाँ वो दर्द है जिस की कोई दवा नहीं Share on: