दिल में यादों के कोई दीप जलाया न करे Admin Qita << एक उम्मीद का भी तू ने सहा... फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से इज़्ज़त... >> दिल में यादों के कोई दीप जलाया न करे कोई ख़्वाबों में मुझे आ के सताया न करे हाल की तल्ख़ियाँ कुछ और ही बढ़ जाती हैं क़िस्सा-ए-माज़ी कोई अब तो सुनाया न करे Share on: