गर्मियाँ हब्स रात तारीकी By Qita << मौक़ा-ए-यास कभी तेरी नज़र... मेरी आँखों में नींद चुभती... >> गर्मियाँ हब्स रात तारीकी इक दिया दूर टिमटिमाता है जैसे इक पुर-ख़ुलूस इंसाँ का मुश्किलों में ख़याल आता है Share on: