हश्र तक भी अगर सदाएँ दें By Qita << एक कम-सिन हसीन लड़की का डॉलर की मोहब्बत >> हश्र तक भी अगर सदाएँ दें बीत कर वक़्त फिर नहीं मुड़ते सोच कर तोड़ना इन्हें साक़ी टूट कर जाम फिर नहीं जुड़ते Share on: