हिकमत-ए-अहल-ए-मदरसा का ग़ुरूर By Qita << हालात-ए-गुलिस्ताँ पे बहुत... क्या बताऊँ कि सह रहा हूँ ... >> हिकमत-ए-अहल-ए-मदरसा का ग़ुरूर मेरी वहशत से दब के हार गया तेरा घबरा के मुस्कुरा देना ज़िंदगी की नक़ाब उतार गया Share on: