इतने अपनों में कोई एक न अपना निकला सोशल डिस्टेन्सिंग शायरी, Qita पंद-नामा >> इतने अपनों में कोई एक न अपना निकला ए मिरे शहर बता मैं भी कहाँ आ निकला लोग नज़रें भी चुराने लगे हम-सायों से दरमियाँ फ़ासला रखने का चलन क्या निकला Share on: