आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर By Qita << दियार-ए-सब्ज़ा ओ गुल से न... ओस का नन्हा सा क़तरा हूँ ... >> आज मुद्दत के ब'अद होंटों पर एक मुबहम सा गीत आया है इस को नग़्मा तो कह नहीं सकता ये तो नग़्मे का एक साया है Share on: