ज़ब्त का अहद भी है शौक़ का पैमान भी है By Qita << शम्अ की तरह पिघलते हुए दि... वस्ल की शब है और सीने में >> ज़ब्त का अहद भी है शौक़ का पैमान भी है अहद-ओ-पैमाँ से गुज़र जाने को जी चाहता है दर्द इतना है कि हर रग में है महशर बरपा और सकूँ ऐसा कि मर जाने को जी चाहता है Share on: