कभी पहलू में समुंदर के तड़प उठती हैं By Qita << मौत का सर्द हाथ भी साक़ी कोई ताज़ा अलम न दिखलाए >> कभी पहलू में समुंदर के तड़प उठती हैं और कभी रेत के सीने से लिपट जाती हैं इन को आता नहीं आग़ोश-ए-मोहब्बत में क़रार मौजें मुँह चूम के साहिल का पलट जाती हैं Share on: