ख़राबात-ए-मंज़िल गह-ए-कहकशाँ है By Qita << कर चुकी है मिरी मोहब्बत क... प्लैनिंग >> ख़राबात-ए-मंज़िल गह-ए-कहकशाँ है वगर्ना हर इक चीज़ ज़ुल्मत-निशाँ है लब-ए-माह-ओ-अंजुम पे साक़ी अज़ल से तिरा ज़िक्र है या मिरी दास्ताँ है Share on: