ख़ुदा की मर्ज़ी By Qita << मशवरा जूते >> पाँच सालों से हैं परदेस में अपने साहब बच्चा हर साल मगर घर में नया होता है नेक बीवी की ख़ता कोई नहीं है शायद वही होता है जो मंज़ूर-ए-ख़ुदा होता है Share on: