किराए का घर By Qita << जिन को मल्लाह छोड़ जाते ह... मुन्ने का बस्ता >> मैं एक भी मकान का मालिक न बन सका बारिश की ज़द में हूँ कभी लू के असर में हूँ इतनी न तेज़ चल कि उखड़ जाएँ बाम-ओ-दर ऐ सर-सर-ए-हवा मैं किराए के घर में हूँ Share on: