किसी ख़याल में मदहोश जा रहा था मैं By Qita << कोई जंगल में गा रहा है गी... किस क़यामत के लम्हे थे &#... >> किसी ख़याल में मदहोश जा रहा था मैं अँधेरी रात थी तारीकियों की बारिश थी निकल गई कोई दोशीज़ा दिल को छूती हुई ये मेरे साज़-ए-जवानी की पहली लर्ज़िश थी Share on: