कोह-ओ-सहरा भी कर न जाए बाश By Qita << उस के चेहरे का अक्स पड़ता... सब्ज़ा-ज़ारों में गुज़र थ... >> कोह ओ सहरा भी कर न जाए बाश आज तक कोई भी रहा है याँ है ख़बर शर्त 'मीर' सुनता है तुझ से आगे ये कुछ हुआ है याँ Share on: