कुंज-कावी जो की सीने में ग़म-ए-हिज्राँ ने By Qita << नामा-ए-दर्द को मिरे ले कर हम ये कहते थे कि अहमक़ हो... >> कुंज-कावी जो की सीने में ग़म-ए-हिज्राँ ने इस दफ़ीने सती अक़साम-ए-जवाहर निकला अश्क-ए-तर लख़्त-ए-जिगर क़तरा-ए-ख़ूँ पारा-ए-दिल एक से एक रक़म आप से बेहतर निकला Share on: