मैं ज़बाँ रखते हुए ख़ामोश हूँ Admin Qita << शे'र की मैं रदीफ़ बन ... मैं हूँ बेगाना-ए-जहाँ ... >> मैं ज़बाँ रखते हुए ख़ामोश हूँ मुझ को कैसी बे-ज़बानी दे गया मैं अभी नन्हा सा पौदा था मगर मुझ को फ़िक्र-ए-बाग़बानी दे गया Share on: