मेरे आगे भी कोई आहनी दीवार सही By Qita << ऐ ख़ुदा कैसे कहें आदिल है... उश्शाक़ को भी माल-ए-तिजार... >> मेरे आगे भी कोई आहनी दीवार सही जुरअत-ए-इश्क़ को कब इस का ख़याल आता है मैं तो हर राह से बे-ख़ौफ़ गुज़र जाऊँ मगर बंदा-पर्वर ही की जुरअत का सवाल आता है Share on: