मिरे दिल की उदास वादी में By Qita << तितली कोई बे-तरह भटक कर किस क़दर नूर-ए-सहर देख के... >> मिरे दिल की उदास वादी में ग़ुंचा-हा-ए-मलूल खिलते हैं गुल्सितानों पे ही नहीं मौक़ूफ़ जंगलों में भी फूल खिलते हैं Share on: