न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके By Qita << फिर उमड आए हैं यादों के स... कह रही है रविश की ताबानी >> न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके वो रात जो कि तिरे गेसुओं की रात नहीं ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं Share on: