न पूछ जब से तिरा इंतिज़ार कितना है By Qita << साक़िया एक जाम पीने से मुझ को तो आप मिरे ख़्वाब ... >> न पूछ जब से तिरा इंतिज़ार कितना है कि जिन दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार नहीं तिरा ही अक्स है इन अजनबी बहारों में जो तेरे लब तिरे बाज़ू तिरा कनार नहीं Share on: