न टाँगें तोड़ना अच्छा न सर को फोड़ना अच्छा By Qita << नज़्र-ए-निदा-फ़ाज़ली मशवरा >> न टाँगें तोड़ना अच्छा न सर को फोड़ना अच्छा जहाँ पिटने का ख़दशा हो वहाँ से दौड़ना अच्छा अगर मालूम हो जाए वो दुख़्तर है दरोग़ा की इसी में ख़ैरियत है उस गली को छोड़ना अच्छा Share on: