नज़्र-शहरयार By Qita << प्यारी हो कि पतली हो हल्क... नज़्र-ए-निदा-फ़ाज़ली >> फाँसी पे झूल जाऊँ यही चाहता है वो दुश्मन है मेरी जान का ये मान लीजिए दिल जब भी उस से माँगता हूँ कहता है यही दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए Share on: