सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें By Qita << चंद लम्हों को तेरे आने से दिल की हस्ती बिखर गई होती >> सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे किसी ने रेत के तूफ़ाँ में ला के छोड़ दिया ये जुर्म था कि वफ़ा के सराब देखे थे Share on: