शाम है और पार नद्दी के By Qita << वो पानी भरने चली इक जवान ... मेरी दुनिया में मोहब्बत न... >> शाम है और पार नद्दी के एक नन्हा सा बे-क़रार दिया यूँ अँधेरे में टिमटिमाता है जैसे कश्ती के डूबने की सदा Share on: