तड़प है क़ैस के दिल में तह-ए-ज़मीं इस से By Qita << ये चमेली की अध-खिली कलिया... तेरे माथे पे ये नुमूद-ए-श... >> तड़प है क़ैस के दिल में तह-ए-ज़मीं इस से ग़ज़ाल-ए-दश्त निशान-ए-मज़ार पाते हैं वगर्ना ख़ाक हुए कितने ही मोहब्बत में किसी का भी कहीं मुश्त-ए-ग़ुबार पाते हैं Share on: